प्रभु की याद में घड़ियाँ जो जीवन की बिताएगा। आर्य समाज भजन । मिथलेश शास्त्री - मिथलेश शास्त्री Lyrics
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Singer | मिथलेश शास्त्री |
Music | राजेश राही |
लिखित भजन
तर्ज़ - बहारो फूल बरसाओ . . . . . . . .
टेक - प्रभु की याद में घड़ियाँ जो जीवन की बितायेगा । कमाई का यह धन है , सफर में काम आएगा ।
बिना इसके किसी धन ने कभी न साथ जाना है ,
सिकन्दर की दशा सब को सुना कर के चेताना है ।
सिकन्दर की दशा सब को सुना कर के चेताना है ।
गया जो चेत निश्चय ही प्रभु को न भुलाएगा । । ( १ )
महाजन बन गये लाखों प्रभु से नेह लगा करके ,
निभाया धर्म याचक का किसी के काम आ करके ।
इसी यश को कमा करके अमर यश को बनाएगा ।।२।।
लगा श्वासों की पूँजी को अमर साथी के चिन्तन में,
अनोखे काम कर डाले ऋषि सेवा के जीवन में ।
अनोखे काम कर डाले ऋषि सेवा के जीवन में ।
पढ़ेगा जो ऋषि - जीवन इसी शिक्षा को पायेगा ।।३।।
कमाना देश इस धन को , कमाया जा सके जितना ,
बुराइयों से बचा निज को , बचाया जा सके जितना ।
विदाई के समय तू भी ऋषि सम मुस्कराएगा ।।४।।
बुराइयों से बचा निज को , बचाया जा सके जितना ।
विदाई के समय तू भी ऋषि सम मुस्कराएगा ।।४।।
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