जीये जा रहे हैं, जीये जा रहे हैं -Lyrics/लिखित भजन। आर्य समाज वैदिक भजन

जीये जा रहे हैं, जीये जा रहे हैं -Lyrics/लिखित भजन। आर्य समाज वैदिक भजन

जीये जा रहे हैं, जीये जा रहे हैं -Lyrics/लिखित भजन। आर्य समाज वैदिक भजन

जीये जा रहे हैं जीये जा रहे हैं।  

सफर को खत्म हम किये जा रहे हैं॥

(1) क्यों जी रहे है खबर ही नहीं है।
इरादों पे अपनी नजर ही नहीं है।
 सांस आ रहे हैं लिये जा रहे हैं....

(2) कहां जा रहे हैं कहां है ठिकाना।
कभी हमने सोचा न समझा न जाना।
जो हैं दिल में आया किये जा रहे हैं....

(3) सुबह-शाम ख्वाहिश के चक्कर में फंसकर।
बेगाने गुनाहों के दलदल में धंसकर।
नफरत के प्याले पीये जा रहे हैं....

(4) फटे दिल मुहब्बत के धागों से सीकर।
 हुए वीर अमर आंसू दुखियों के पीकर।
 जो गम लेके खुशियां दिये जा रहे हैं....

(5) मुबारक उन्हीं का है जीना जहां में।
खिले फूल बनकर जो इस गुलिस्ता में।
महक अपनी जग को दिये जा रहे हैं....



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