कहीं पर जीत होती है, कहीं पर हार... Lyrics/लिखित भजन। दिनेश पथिक भजन। आर्य समाज वैदिक भजन


कहीं पर जीत होती है, कहीं पर हार... Lyrics/लिखित भजन। दिनेश पथिक भजन। आर्य समाज वैदिक भजन



तर्ज़ - अजब हैरान हूँ भगवन् तुझे क्योंकर रिझाऊँ मैं ।

 कहीं पर जीत होती है कहीं पर हार होती है । 
यही है ज़िन्दगी प्यारे जो दिन दो चार होती है ।

 जो पेड़ों को लगाते हैं सभी तो फल नहीं खाते ,
यहाँ प्रारब्ध भी कोई चीज़ आखिरकार होती है ।

 किसी भी काम में जब तक न हो मरजी विधाता की ,
बड़ी कोशिश करे कोई मगर बेकार होती है । । १ । ।

 कभी खिलवाड़ फूलों से कभी आकाश से बातें ,
कभी तूफ़ान में नैया पडी मँझधार होती है ॥ २ ॥

 यह बचपन ही सहारा है जवानी और बुढ़ापे का ,
अजी यह नींव है जिस पर खड़ी दीवार होती है । । ३ । ।

यह जीवन एक नदिया है तो सुख दुःख दो किनारे हैं ,
 ये दोनों साथ रहते हैं जहाँ जलधार होती है । । ४ । ।

 यह दौलत नाव ही समझो जो आती और जाती है ,
कभी इस पार होती है कभी उस पार होती है । । ५ । ।

' पथिक ' मंज़िल पे सब पहँचें कोई आगे कोई पीछे ,
कि हर इनसान की जग में अलग रफ़तार होती है ॥ ६ ॥

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