सुख भी मुझे प्यारे हैं, दुख भी मुझे...Lyrics/लिखित भजन। कंचन कुमार।आर्य समाज वैदिक भजन

सुख भी मुझे प्यारे हैं, दुख भी मुझे...Lyrics/लिखित भजन। कंचन कुमार।आर्य समाज वैदिक भजन


लिखित भजन शीघ्र

सुुुख भी मुुुुझेे प्य़ारे हैैं, दुख भी मुुझे प्यारे हैैं
छोड़ूँ मैं किसे भगवन् दोनों ही तुम्हारे हैं

१. सुख दुख ही दुनिया की गाड़ी को चलाते हैं
    सुख दुख ही हम सबको इंसान बनाते हैं
    संसार की नदियों के दोनों ही किनारे हैं

२. दुख चाहे न कोई भी सब सुख को तरसते हैं
    दुख में सब रोते हैं सुख में सब हंसते हैं
     सुख मिले उसके पीछे दुख ही तो सहारे हैं

३. सुख में तेरा शुक्र करूँ दुख में फरियाद करूँ
     जिस हाल में राखे मुझे मैं तुमको याद करूँ
     मैंने तो तेरे आगे ये हाथ पसारे हैं

४. जो है तेरी रजा उसमें देखूँ मैं पकड़ कैसे
     मैं कैसे कहूँ मेरे कर्मों के है फल कैसे
     चखकर भी न देखूँगा मीठे हैं कि खारे हैं

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