Kan Kan Me Jo Rama Hai..कण कण में जो रमा है..Lyrics/लिखित भजन।पथिक भजन। आर्य समाज वैदिक भजन




Kan Kan Me Jo Rama Jai..कण कण में जो रमा है..Lyrics/लिखित भजन।पथिक भजन। आर्य समाज वैदिक भजन

तर्ज - वो दिल कहाँ से लाऊँ तेरी याद जो भुला दे ।

 कण कण में जो रमा है हर दिल में है समाया । 

उसकी उपासना ही कर्त्तव्य है बताया ।
 कण कण में जो रमा है . . . . . . . . . . १

 दिल सोचता है खुद वह कितना महान् होगा , इ
तना महान् जिस ने संसार है बनाया ।
 कण कण में जो रमा है . . . . . . . . . . २

देखो ये तन के पुरज़े करते हैं काम कैसे ,
 जोड़ों के बीच कोई कब्जा नहीं लगाया ।
 कण कण में जो रमा है . . . . . . . . . . . ३

 इक पल में रोशनी से सारा जहान चमका ,
 सूरज का एक दीपक आकाश में जलाया
 कण कण में जो रमा है . . .

अब तक यह गोल धरती चक्कर लगा रही है ,
फिरकी बना के कैसी तरकीब से घुमाया ।
कण कण में जो रमा है . . . . . . . . . . ५

कठपुतलियों का हम ने देखा अजब तमाशा ,
 छुप कर किसी ने सब को संकेत से नचाया ।
 कण कण में जो रमा है . . . . . . . . . . ६

हर वक्त बन के साथी रहता है साथ सब के ,
नादान ' पथिक ' उसको तू जानने न पाया ।
 कण कण में जो रमा है . . . . . . . . . .

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ