उसे हरदम आनन्द ही आनन्द है।।
1. झूठी ममता से करके किनारा,
लेके सच्चे प्रभु का सहारा।
जो उसकी रजा में रजामन्द है।।
उसे हरदम आनन्द ही.....
2. जिसकी कथनी में कोयल सी चहक है।
जिसकी करनी में फूलों सी महक है।
प्रेम नरमी ही जिसकी सुगन्ध है।
उसे हरदम आनन्द ही आनन्द है।।
3. निन्दा चुगली न जिसको सुहावे।
बुरी संगत की रंगत न भावे।
सत्संगत ही जिसको पसन्द है।।
उसे हरदम आनन्द ही आनन्द है।।
4. दीन दुखियों के दुख को मिटावे।
बनके सेवक भला सबका चाहे।
नहीं जिसमें घमण्ड और पाखण्ड है।
उसे हरदम आनन्द ही आनन्द है।।
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